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हाथियों का राजा गजराज चतुर्दन्त बहुत निराश और परेशान था. पिछली साल की तरह इस बार भी बारिश न होने से जंगल और उसके आसपास के सभी तालाब पोखर सूख गये थे.
हाथियों को पीने और नहाने के चाहिये खूब पानी. गजराज को पता चला कि यहां से कुछ दूर तालाब है. यह सरोवर पाताल-गंगा के जल से बारहों महीने भरा रहता है. गजराज ने हाथियों से कहा हम सबको वहीं जाना चाहिए.
हाथियों का दल उस विशाल कुदरती तालाब तक पहुंचा. बहुत दिनों बाद पानी मिलने के कारण छोटे-बड़े सभी हाथी उस जलाशय में बैठे पूरे दिन पानी से खेलते रहे.
अंधेरा होने पर धूम मचाते भागते दौड़ते जंगल की ओर चले. जलाशय के चारों ओर खरगोशों के बहुतेरे बिल बने हुए थे. हाथियों के पैरों तले आकर खरगोशों के अधिकतर बिल तहस नहस हो गए कुचलकर खरगोश भी मर गए.
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