अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
एक बार भगवान श्रीकृष्ण और महाराज युधिष्ठिर में वार्ता चल रही थी. युधिष्ठिर भगवान से अपनी शंकाओं के निवारण के लिए प्रश्न पूछ रहे थे. उन्होंने युद्ध और नीति कौशल से जुड़े प्रश्नों के साथ-साथ व्यक्तिगत तथा समाजहित के प्रश्न पूछे.
युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा- भगवन! शौर्य और बल के अतिरिक्त क्या कोई ऐसा उपाय भी है जो मनुष्य की रक्षा के लिए विशेष रूप से फलदायी हो?
श्रीकृष्ण बोले– महाराज! रक्षासूत्र एक ऐसा उपाय है जिससे भी विजय, आरोग्य और सुख प्राप्ति संभव है. क्या आपने इस संदर्भ में शची और इंद्र की कथा नहीं सुनी?
युधिष्ठिर के अनुरोध पर भगवान ने उन्हें रक्षासूत्र बनाने और उसे धारण करने के बारे में बताकर शची और इंद्र के संदर्भ के साथ रक्षासूत्र का महत्व स्थापित करने वाली कहानी सुनानी शुरू की.
भगवन बोले- देवताओं और असुरों में आए दिन संग्राम होते रहते थे. कई बार असुर भी इस संग्राम में विजयी हुए हैं. एक बार ऐसा ही होने वाला था, असुर देवताओं पर भारी पड़ रहे थे और प्रतीत होता था कि वे संग्राम में विजयी हो जाएंगे.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.