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दूसरा बोला- इसमें परेशान होने की क्या बात है. मैंने जो विद्य सीखी है वह अनूठी है. मैं हुए मरे प्राणी पर भी खाल और बाल पैदा कर सकता हूं. इसके बाद वह वह बिल्कुल वैसा दिखने लगता है जैसा कि वह सच में होता है.
तीसरे ने कहा- मैं किसी क्षत-विक्षत प्राणी के सारे अंग उपांग पहले जैसा बन सकता हूं यहां तक कि वे सब जीवित प्राणियों के अंगों की तरह काम करने लगेंगे पर हां मैं मरे में जान नहीं डाल सकता हूं.
उसकी बात समाप्त होती कि चौथा उतावलेपन से बोला- मैंने तो अपने गुरू से मरे में जान डालने की विद्या सीखी है. मैं उसमें जान डाल दे सकता हूँ. कोई परेशानी की बात ही नहीं है अब तो.
सबने मिलकर कहा अद्भुत. विचार हुआ कि सबने अलग-अलग अपनी विद्या का प्रयोग किया है. क्यों न एक साथ मिलकर सारी शक्तियों का प्रयोग करके एक बार आजमा लिया जाए.
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