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राजा ने कहा- यह चमत्कार मुझे भी दिखाओ. राजा और उसका सेवक राजकुमार दोनों घोड़ों पर सवार होकर देवी के मन्दिर पर आये. अन्दर जाकर दर्शन किये और जैसे ही बाहर निकले कि वह स्त्री प्रकट हो गयी.

इस बार तो वह राजा को देखते ही बोली- महाराज गुणाधिप, मैं आपके रूप पर इतनी मुग्ध हूं कि अब आप जो कहेंगे वही करुँगी. राजा ने कहा- यदि ऐसा है तो तुम मेरे इस सेवक से विवाह कर लो.

स्त्री बोली- मैं तो आपको चाहती हूं. इससे विवाह कैसे करूं? राजा ने कहा- सज्जन जो कहते हैं, उसे निभाते हैं. यदि तुम उत्तम कुल की कन्या हो तो वचन का पालन करो. मेरा सेवक मुझ से उम्र में कम और गुणी है. इससे विवाह में तुम्हें हानि क्या है?

इसके बाद राजा ने उसका विवाह अपने सेवक से करा दिया. इतना कहकर बेताल बना किंकर विक्रमादित्य से बोला- हे राजन्! यह बताओ कि राजा और सेवक, दोनों में से किसका काम बड़ा या महान हुआ?

राजा विक्रमादित्य ने कहा- निस्संदेह नौकर का कार्य महान था. इस पर किंकर ने पूछा- यह आप किस आधार पर कहते हैं, विस्तार से बताइए?

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