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ऋषि स्थूलकेश कन्या अपने आश्रम ले आए. अप्सरा और गंधर्व का अंश होने के कारण वह कन्या अप्रतिम सुन्दरी थी. ऋषि ने उसका नाम रखा प्रमद्वरा.
भृगुवंशी ऋषि कुमार रुरु एक दिन स्थूलकेश के आश्रम पर घूमते-धूमते आया और प्रमद्वरा के रूप पर मोहित हो गया. रुरु के पिता प्रमति स्थूलकेश से मिले और रुरु और प्रमद्वरा का विवाह तय किया गया.
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