प्रभु शरणम् को अपना सबसे उपयोगी धार्मिक एप्प मानने के लिए लाखों लोगों का हृदय से आभार- 100 THOUSAND CLUB में शामिल हुआ प्रभु शरणम्
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पुराणों में छोटी-छोटी बातों का भी वर्णन आता है. हम समय-समय पर इनसे जुड़ी कथाएं लेकर आते रहते हैं. आज मैं आपको हमारी पलकों के झपकने के पीछे की कथा लेकर आया हूं.

पलकें झपकने को लेकर देवी भागवत पुराण एवं अन्य पुराणों में एक कथा है. इस कथा का संबंध माता सीता के पूर्वजों से हैं. आज वह कथा सुनिए.

राजा इच्छवाकु के वंश में खटवांग हुए. खटवांग के पुत्र दीर्घबाहु, दीर्घबाहु के पुत्र रघु हुए. रघु के पुत्र अज और अज के पुत्र दशरथ हुए. दशरथ के पुत्र भगवान श्रीराम के रूप में स्वयं नारायण ने अवतार लिया.

आपको माता सीता के पिता राजा जनक के कुल की चर्चा की ओर लिए चलता हूं. उनके बारे में अपेक्षाकृत कम पता है लोगों को इसलिए जनक के कुल की कथा सुनते हैं.

राजा निमि के राज्य में अकाल और अनावृष्टि हुई तो प्रजा संकट में आ गई. निमि बड़े धर्मात्मा थे. उन्होंने इस आपदा का कारण जानने के लिए अपने गुरुजनों से परामर्श किया.

सबकी यही राय हुई कि राजा को राजसूय यज्ञ कराकर माता जगदंबा के साथ-साथ सभी देवों को प्रसन्न करना चाहिए. माता जगदंबा की कृपा तो उनपर है ही इसलिए यदि राजसूय यज्ञ में निष्ठ होकर वह जगदंबा का आह्वान करें तो संकटों से प्रजा की रक्षा हो जाएगी.

निमि ने यज्ञ का निश्चय किया और पिता की आज्ञा से यज्ञ की तैयारी भी आरंभ कर दी.

उस समय भृगु, अंगिरा, वामदेव, गौतम, वशिष्ठ, पुलस्त्य, ऋचिक, पुलह और क्रतु जैसे श्रेष्ठ महर्षियों को आमंत्रित किया गया.

वशिष्ठ इनके कुल गुरू थे. सारी तैयारी पूरी करने के बाद निमि महर्षि वशिष्ठ के पास गए और उनसे मुख्य पुरोहित बनकर इस यज्ञ का कार्यभार ग्रहण करने का आग्रह किया.

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1 COMMENT

  1. Ram ram je I am proud I am Hindu. Sir I love my region and I receipt all regions. That why I am Hindu jai hind

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