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भगवान खड़े-खड़े मुस्कुराते हुए सबका चेहरा देख रहे हैं पर कुछ बोलते नहीं. देवताओं की भीड़ में यमराज भी खड़े थे. यमराज ने सोचा कि ये किसी लोक में जाने का अधिकारी नहीं है.
अब इस पापी को भगवान कहीं मेरे यहां न भेज दें. माता की निंदा करने वाले को किसी देवता ने स्थान नहीं दिया. यदि मेरे लोक में स्थान मिल गया तो देवताओं के बीच निंदा का कारण भी बन सकता हूं. इसे यमपुरी में नहीं रखा जा सकता.
यमराज जी घबराकर उतावली वाणी से बोले- महाराज! स्वामी! आपने जिसका हाथ थाम रखा है वह इतना बड़ा पापी है कि इसके लिए मेरी यमपुरी में भी कोई जगह नहीं है.
अब धोबी को घबराहट होने लगी कि मेरी दुर्बुद्धी ने इतना निंदनीय कर्म करवा दिया कि यमराज भी मुझे नहीं रख सकते. अब तो मेरा जाने क्या हो.
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