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जिस समय भगवान सब को साथ लिए साकेत की ओर चले जा रहे थे उसी समय सभी देवी-देवता भी आकाश मार्ग से देख रहे थे कि आखिर सीता माता की निंदा करने वाले पापी धोबी को भगवान कहां स्थान दिलाते हैं.

भगवान ने द्वार बन्द होते ही इधर-उधर देखा तो ब्रह्माजी ने सोचा कि कहीं भगवान इस पापी को मेरे ब्रह्मलोक में ही न भेज दें. ब्रह्माजी चिंतित हो गए. हाथ हिला-हिलाकर कहने लगे- प्रभु! इस पापी के लिए मेरे ब्रह्मलोक में कोई स्थान नही है.

इन्द्र ने सोचा कि प्रभु कहीं इसे मेरे इन्द्रलोक में न भेज दे. इससे इंद्र भी घबराए. उन्होंने भी प्रभु को विनती लगाई- प्रभु! इस पापी के लिए इन्द्रलोक में भी कोई जगह नही है. आप ऐसा आदेश करके मुझे धर्मसंकट में न डालिएगा.

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