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हनुमानजी की आदत थी अगर कुछ उनके दिमाग में खटक गया तो वह माता से एक के बाद एक प्रश्न तब तक पूछते रहते जब तक उनकी जिज्ञासा पूरी शांत न हो जाए.
सीताजी, पवनसुत के साथ ज्यादा प्रश्न-उत्तर करने के विचार में थी नहीं. सो उन्होंने टालने के लिए कह दिया कि सिंदूर इसलिए लगाती हूं क्योंकि इससे श्रीराम की आयु बढ़ती है.
हनुमानजी सोचने लगे कि संसार को चलाने वाले प्रभु की आयु इस रंगीन पदार्थ सिंदूर से बढ़ती है! लेकिन फिर ख्याल आया कि माता ने कहा है तो सही ही कहा होगा.
सिंदूर की इस महिमा पर वह माता से कई प्रश्न और पूछना चाहते थे लेकिन माता सीता तो वहां से जा चुकी थीं.
हनुमानजी ने सोचा कि अगर इस सिंदूर के लगाने से मेरे प्रभु की आयु बढ़ती है तो माता ने इतना चुटकी भर क्यों लगाया! कोई कमी तो है नहीं.
तरह-तरह के प्रश्न हनुमानजी के मन में आते रहे लेकिन आखिर पूछें भी तो किससे. कुछ समझ में न आया तो सारा सिंदूर अपने शरीर पर उडेलकर उसे अच्छे से मिला लिया.
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