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बाणासुर ने उनसे फिर एक वरदान मांगा- हे प्रभु जब कृष्ण से मेरा युद्ध होगा उस युद्ध में आप मेरे पक्ष से युद्ध करेंगे और मेरे प्राणों की रक्षा का दायित्व आपका रहेगा. युद्ध कब होगा मैं नहीं जानता इसलिए आप मेरे किले के पहरेदार बने रहें.
बाणासुर ने अनिरुद्ध को बंदी बना लिया है. नारदजी ने यह खबर जाकर श्रीकृष्ण को दे दी. बलराम, प्रद्युम्न, सात्यिकी, गद, साम्ब आदि वीरों के साथ भगवान श्रीकृष्ण ने बाणासुर पर चढ़ाई कर दी.
आक्रमण का सामना करने वाणासुर भी अपनी सेना लेकर आ गया. बलरामजी बाणासुर के प्रधानमंत्री और चित्रलेखा के पिता कुम्भाण्ड तथा कूपकर्ण राक्षसों से भिड़ गए. भगवान श्रीकृष्ण बाणासुर पर प्रहार करने लगे. घनघोर संग्राम होने लगा.
बलराम ने कुम्भाण्ड और कूपकर्ण को मार डाला. बाणासुर बुरी तरह घायल हो चुका था. श्रीकृष्ण उसके वध को तत्पर हुए तो उसे भगवान शंकर को रक्षा के लिए पुकारा. वचनबद्ध महादेव ने रुद्रगणों की सेना बाणासुर की सहायता के लिए भेज दिया.
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