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बाणासुर शिवजी के पास गया और बोला कि मुझे युद्ध करने की तीव्र इच्छा हो रही है किंतु कोई युद्ध करने का साहस नहीं कर पा रहा. आप मेरी इच्छा पूरी करें और मुझसे युद्ध करें.

महादेव समझ गए कि बाणासुर की मति मारी गई है और उसे उसका दंड मिलने का समय आ गया है. शिवजी ने उससे कहा कि वह उनका शिष्य है और पार्वती उसे पुत्र मानती हैं इसलिए वह उससे युद्ध नहीं करना चाहते.

शिवजी ने बाणासुर से कहा- तुम्हारी इच्छा जल्द पूरी होगी. तुम विचलित मत हो तुम्हें. पराजित करने वाले श्रीकृष्ण आ चुके हैं और तुम्हारा शीघ्र ही युद्ध होगा.

यह सुनकर बाणासुर भयभीत हो गया. उसने शिवजी की पुनः तपस्या आरंभ की और अपनी हजारों भुजाओं से कई सौ मृदंग बजाकर महादेव की स्तुति आरंभ की. शिवजी उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा.

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