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माता पार्वती की जन्म-कथा से जुड़ी कथा पढ़ें- पार्वतीजी की माता मेना को मिला था एक शाप: जानिए शाप कैसे बन गया वरदान
दक्ष के यज्ञ में समस्त देवों के समक्ष सतीजी ने स्वयं को योगाग्नि में भस्म कर लिया. तो सतीजी के साथ आए शिवगणों ने विलाप करते हुए यज्ञ में उत्पात मचाना शुरू किया.
भृगु ने यज्ञरक्षक पैदा किए. उन रक्षकों ने शिवगणों को मार भगाया. शिवगण कैलास पहुंचे और भोलेनाथ को सारी बात विस्तार से बता दीं. पत्नी के दाह और सेवकों के संग हिंसा से रूद्र भड़क उठे.
क्रोधाग्नि में जलते शिवजी ने अपनी शक्तियां संगठित की और एक जटा को उखाड़कर जोर से पर्वत पर दे मारा. जटा के दो भाग हुए. एक से वीरभद्र प्रकट हुए और दूसरे से महाकाली.
शिवजी ने वीरभद्र को आदेश दिया कि तत्काल यज्ञशाला में जाओ और दक्ष को दंड दो. उसकी रक्षा में यदि स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और यम भी आ जाएं तो निःसंकोच उनसे भी युद्ध करो. किसी के भी अनुनय-विनय को मत सुनना.
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