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बाघ के भस्म होते ही वहां एक गंधर्व उपस्थित हुआ जिसने परशुराम को प्रणाम कर कहा- एक ब्राह्मण के शाप से मेरी यह दशा हुई थी. आपने मुझे शापमुक्त कर दिया. अब मैं अपने धाम, स्वर्ग लोक को जाता हूं और वह स्वर्ग सिधार गया.
परशुराम बालक के पास पहुंचे. उन्होंने उसके शरीर पर हाथ फेरा. बालक ने आंखें खोल इधर उधर देखा और फिर राम को देख कर बोला आप कौन हैं और यहां कैसे आये. राम ने कहा तुम कौन हो,? पहले बताओ.
बालक बोला- मुझे अब भी चारों ओर बाघ ही दिख रहा है और उसकी उपस्थिति लग रही है. मैं शांत मुनि का पुत्र हूं. तीर्थ के लिए मैं शालग्राम गया वहां से गंधमादन पर्वत जाने की इच्छा हुई. हिमवान पर्वत से निकल रहा था कि भटक गया.
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