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परशुराम कुछ ही आगे बढे होंगे कि उन्हें एक बालक की करूणाभरी पुकार सुनाई पड़ी. वह बालक बचाओ बचाओ की गुहार लगा रहा था. भय के चलते उसकी आवाज घुट जा रही थी फिर भी परशुराम को उसके रोने की आवाज सुनाई पड़ गयी.

उस छोटे बालक का जीवन संकट में देख परशुराम विद्युत गति से बालक के समीप पहुंच गए. बालक भय से पीला पड़ गया. एक बाघ बालक को अपना शिकार बनाने को तैयार था.

वह उसको लक्ष्यकर कूदा तो लगा कि अब निरीह बालक उसका शिकार हुए बिना नहीं बचेगा. बाघ हवा में ही था कि राम ने सामने से कुश का एक तिनका हाथ में ले अस्त्राग्नि का प्रयोग कर दिया.

बाघ बालक पर गिर उसे दबोचने वाला ही था कि भयंकर हुंकार और भीषण मंत्र के साथ चलाये उस अस्त्र ने बाघ को जला कर भस्म कर दिया. यह कार्य इतनी शीघ्रता से हुआ कि बालक को बाघ के पंजों, उसके नाखूनों से कोई चोट नहीं आयी थी.
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