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मैं उन दोनों के साथ गया और लौट कर जैसे का तैसा करके और सुनाकर मां को सब बता दिया. मेरी याददाश्त देखकर वह भौंचक रह गए. उनमें से एक का नाम व्याडि था.

व्याडि मां से बोले- आप धन्य हैं. आपका बालक तो शृतिधर यानी जो सुना देखा उसे दिमाग में हूबहू उतार लेने वाला. हम तो इसी की खोज में थे. भगवान की कृपा से हमारी खोज पूरी हुई, यह हमें मिल गया.

मेरी मां ने कहा- मेरा पुत्र अनूठी प्रतिभा वाला है यह तो ठीक है पर आप दोनों इसे ही क्यों खोज रहे थे? इस बात में क्या रहस्य है, कृपया यह बतायें.

व्याडि बोले- यह मेरा मित्र इंद्रदत्त है. जब हमारे मां पिता स्वर्गवासी हुए तो हमने विशेष विद्या प्राप्ति के लिये स्वामी कार्तिक की कठिन तपस्या की. हमारी तपस्या से कार्तिक स्वामी प्रसन्न हुए.

सपने में आकर कार्तिक स्वामी ने हमसे कहा- तुम दोनों को पाटिलीपुत्र में वर्ष नामक ब्राह्मण मिलेगा वही तुम्हें ज्ञान देगा. हम दोनों वर्ष नाम के ब्राह्मण की खोज में लग गये.
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