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वह तुम पर कोई विशेष कृपा करने के निमित्त पधारे हैं. उनकी स्तुति करके उन्हें प्रसन्न करो और अपराध के लिए क्षमा मांग लो. नभग यज्ञस्थल पर गए और महादेव की स्तुति की.
हे प्रभु, समस्त संसार आपका है. फिर यज्ञशेष क्या वस्तु है. यह आपका ही है और मेरे पिताजी ने यह सब आपको समर्पित करने का आदेश दिया है. मैंने भूलवश आपके साथ उद्दंडता की, उसके लिए क्षमा करें.
कृष्णदर्शन रूप में भगवान शिव प्रसन्न हुए और नभग से बोले- दरिद्रता में भी तुम्हारे पिता के धर्म के अनुकूल निर्णय से मैं प्रसन्न हूं. मैं तुम्हें सनातन ब्रह्मतत्व के उपदेश के साथ-साथ इस यज्ञ का पूरा धन प्रदान करता हूं.
संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्
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