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छोटी होने पर भी बंदरिया होने का मतलब और साधु के श्राप का अर्थ तो समझती ही थी. खूब गिड़गिड़ाई तो उस साधु ने कहा कि मेरा चेहरा बंदरिया जैसा होने के बावजूद मेरे प्रेमी का प्रेम मेरी तरफ कम नहीं होगा.
कहानी सुनाने के बाद अंजना ने ब्रह्माजी से कहा कि अगर आप मुझे इस शाप से मुक्ति दिलवा सकें तो बड़ी कृपा होगी यही मेरे लिए आपका वरदान होगा. ब्रह्माजी ने कहा कि इस शाप से मुक्ति पाने के लिए तुम्हें भगवान शिव के अवतार को जन्म देना होगा.
ब्रह्माजी ने सुझाया- तुम धरती पर जाकर वास करो. जहां तुम्हारा नाम अंजना होगा. तुम अपने पति से मिलोगी और शिव के अवतार को जन्म दोगी. उसके बाद तुम्हें इस शाप से मुक्ति मिल जाएगी.
ब्रह्मा की बात मानकर पुंचिकस्थला धरती पर चली आईं और अंजना के रूप में रहने लगीं. शिकारी के रूप में अकेले ही घने वन में निवास करने लगीं. एक दिन जंगल में उन्होंने एक बड़े बलशाली युवक को निहत्थे ही खूंखार शेर से लड़ते देखा.
अंजना उस बलिष्ठ युवक को देख उसके प्रति आकर्षित होने लगीं. शेर से निबटने के बाद उस व्यक्ति की नजरें अंजना पर पड़ीं, अंजना का चेहरा तत्काल ही बंदरिया जैसा हो गया.
अब तो अंजना जोर-जोर से रोने लगीं, उनका रोना सुन वह बलवान युवक उनके पास आया और उनकी दुःख और पीड़ा का कारण पूछा तो अंजना ने अपना चेहरा छिपाते हुए बताया कि वह क्षणॅ भर पहले ठीक थीं पर अचानक ही कुरूप हो गई हैं.
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