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एक बार बजरंग बली शाम के समय रामधुन में मगन थे. उसी समय शनिदेव पधारे. शनिदेव ने हनुमानजी से विनयपूर्वक किंतु ऊंची आवाज में कहा- हनुमानजी! मैं आपको सावधान करने आया हूं. अब आप पर मेरी साढ़े साती प्रभावी हो गई है. मैं आपके शरीर पर आ रहा हूं. त्रेता की बात दूसरी थी, अब कलियुग प्रारंभ हो गया है. भगवान वासुदेव के अपनी अवतार लीला समाप्त करते ही पृथ्वी पर कलि का प्रभुत्व हो गया. यह कलियुग है. इस युग में आप दुर्बल हैं और मैं बलिष्ठ हो गया हूं.
गर्व से भरे शनिदेव को इस बात का ध्यान नहीं रहा कि जिन पर स्वयं श्रीहरि की कृपा हो उन पर ग्रह-गोचरों का दुष्प्रभाव निष्फल हो जाता है. शनिदेव क्या उनके अग्रज यमराज भी प्रभु के भक्त की ओर देखने का साहस नहीं कर पाते. हालांकि शनिदेव बजरंग बली की शक्ति से पहले से परिचित थे.
रावण ने शनिदेव समेत सभी ग्रहों को अपने महल में बंधक बनाकर रखा था. वह हनुमानजी ही थे जिन्होंने शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त कराया था. फिर भी वह ऐसी बात कह गए.
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