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आज योगिनी एकादशी है. आज गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र के पाठ की विशेष महिमा बताई गई है. ग्राह के संकट में फंसे गजेंद्र ने श्रीहरि को सहायता के लिए पुकारकर स्तुति की थी.
गजेंद्र मोक्ष को कर्जमुक्ति दिलाने वाला भी बताया गया है. योगिनी एकादशी को इसका यथासंभव पाठ करें. आज हम आपको भागवत पुराण में वर्णित गजेंद्र की कथा भी सुनाएंगे.
।।श्री गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्रं।।
श्रीशुकदेव उवाच
एवं व्यवसितो बुद्धया समाधाय मनो ह्रदि।
जजाप परमं जाप्यं प्राग्जन्मन्यनुशिक्षितम् ॥1॥
(श्री शुकदेवजी ने कहा- बुद्धि के द्वारा निश्चय करके तथा मन को ह्रदय में स्थिर करके वह गजराज अपने पूर्वजन्म में सीखकर कण्ठस्थ किये हुए सर्वश्रेष्ठ एवं बार-बार दोहराने योग्य निम्नलिखित स्तोत्र का मन-ही-मन पाठ करने लगा।।१।।)
गजेन्द्र उवाचः-
ॐ नमो भगवते तस्मै यत एतच्चिदात्मकम् ।
पुरुषायादिबीजाय परेशायाभिधीमहि॥2॥
(जिनकी चेतना को पाकर ये जड़ शरीर और मन आदि भी चेतन बन जाते हैं, “ॐ” शब्द के द्वारा लक्षित तथा सम्पूर्ण शरीरों में प्रकृति एवं पुरुष रुप से प्रविष्ट हुए उन सर्वसमर्थ परमेश्वर को हम मन-ही-मन नमन करते हैं।।२।।)
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