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हनुमानजी ने चित्रसेना को उसके पिता के पास पहुंचा दिया. चित्रसेना को प्रभु ने अगले जन्म में पत्नी बनाने का वरदान दिया था. भगवान विष्णु की पत्नी बनने की चाह में उसने स्वयं को अग्नि में भस्म कर लिया.
श्री राम और लक्ष्मण, मकरध्वज और हनुमानजी सहित वापस लंका में सुवेल पर्वत पर लौट आये. कथा संपन्न. (स्कंद पुराण और आनंद रामायण के सारकांड की कथा)
संकलनः सीमा श्रीवास्तव
संपादनः राजन प्रकाश
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