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जो मनुष्य पृथ्वी लोक में झूठी गवाही दें, व्यापार अथवा दान के समय झूठ बोलते हैं, वह मरने पर अवीचिमान नरक में सौ योजन ऊँचे पर्वत शिखर से नीचे को सिर करके गिराया जाता है.
उस नर्क की पत्थर की भूमि जल के समान जान पड़ती है. इसीलिये इसका नाम अवीचमान है. गिरने से शरीर के टुकडे टुकड़े हो जाने पर भी प्राण नहीं निकलते, इसलिए उसे बार बार ऊपर से फेंका जाता है.
जो ब्राह्मण या व्रतधारी व्रत में भी मदिरापान करता है तथा जो क्षत्रिय या वैश्य सोमपान करता है, उन्हें यमदूत अयपान नरक में ले जाते हैं और उनकी छाती पर पैर रखकर मुख में पिघला लोहा डालते हैं.
जो पुरुष अभिमानवश जन्म, तप, विघा, आचार, वर्ण या आश्रम में अपने से बड़ों का सत्कार नहीं करता, उसे मरने पर ज्ञारकदर्म नामक नरक में नीचे की ओर सिर करके गिराया जाता है.
जो धन के अभिमान में सब पर संदेह करता है, पैसा कमाने के लिए पाप करता है, वह मरने पर सूचीमुख नरक में गिरता है. वहां उस पापी के सारे अंगों को यमराज के दूत दर्जियों के समान सुई धागे से सीते हैं.
प्रमुख नर्कों का वर्णन करने के बाद शुकदेव ने परीक्षित से कहा- राजन! यमलोक में इसी प्रकार के सैकड़ों नरक हैं. उन नर्कों में सभी अधर्मी अपने कर्मों के अनुसार बारी बारी जाते हैं.
इसी प्रकार अपने जीवन में किए पुण्यों के कारण वे विभिन्न स्वर्गों में भी स्थान पाते हैं. जो कोई पाप नहीं करते और प्रभुभक्ति में लीन रहते हैं वे जन्म-मृत्यु के झंझट से मुक्त होकर मोक्ष पा लेते हैं.
व्रत लेकर भागवत कथा सुनने या सुनाने से कई नरक के पापों से छुटकारा मिलता है.
संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली
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