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मां की हेराफेरी से दुःखी सत्यवती ने अपने श्वसुर से विनती की कि ब्राह्मण ऋषि का पुत्र यदि ब्राह्मण जैसा आचरण न करे तो लोग मेरे चरित्र पर संदेह करेंगे. अत: यदि अब होनी को नहीं टाला जा सकता तो आप अपने स्तर पर इसका एक हल कर दें.
आप आशीर्वाद दें कि मेरा पुत्र ब्राह्मण का ही आचरण करे, भले ही मेरा पौत्र क्षत्रिय जैसा व्यवहार करे. भृगु को दया आ गई और उन्होंने सत्यवती की विनती स्वीकार ली.
सत्यवती के गर्भ से जमदग्नि पैदा हुए. जमदग्नि में श्रेष्ठ ब्राह्मण वाले गुण विद्यमान थे. उनका विवाह राजा प्रसेनजित की कन्या रेणुका से हुआ. जमदग्नि से रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म दिआ.
रुक्मवान, सुखेण, वसु, विश्वानस और राम. राम बचपन से शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र विद्या में भी सबसे आगे रहते. निस्संदेह भृगु की भविष्यवाणी रेणुका के सबसे छोटे पुत्र में ही सत्य होने वाली थी.
एक बार बालक राम अपने दादा भृगु ऋषि के पास गए. राम को देखते ही भृगु समझ गए कि यह कौन हैं और इन्होंने यह शरीर क्यों धरा है. भृगु ने राम को कुछ आवश्यक बात बताने के लिए एकांत में बुलाया.
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