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एक दिन हिमवान क्षेत्र में विशाल शरीर वला एक भयानक शिकारी तीर धनुष लिए हिमवान पर्वत पर आया. शिकारी देखने से बहुत क्रूर और निर्दयी तथा भयानक लगता था. शिकारी ने अपने कंधे पर अपना एक शिकार टांग रखा था जिससे खून टपक रह था.

व्याध उस स्थान तक पहुंच गया जहां राम तपस्या में लीन थे. उसने सरोवर के निकट एक पेड़ के नीचे अपने कंधे से टंगे पशु को उतार कर रखा और उसका मांस खाने लगा.

उसने धनुष संभाला और सरोवर तट पर तपस्या करते राम के पास पहुंचा. राम की ओर देख कर बोला- मैं तोष प्रवर्श व्याध हूं. मैं इसी वन में निवास करता हूं और यहां की समस्त भूमि पर विचरने वाले पशु, प्राणी वन, जल जीव सब मेरे अधीन हैं.
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