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शक्ति का अहसास मन को मलिन करके कुच्रकों की रचना शुरू करता है चाहे वह कोई दैवीय सिद्धि ही हो क्यों न हो. उसे श्रेष्ठता का अभिमान होने लगता है. फिर तो यह वरदान मेरे लिए शाप बन जाएगा. अच्छा है कि लोगों का कल्याण चुपचाप हो जाए.
जब आपकी किसी चीज के लिए बहुत ज्यादा इच्छा होती है तब वह वस्तु आसानी से नहीं मिलती. लालसा घटते ही वह सरलता से उपलब्ध होने लगती है. बहुत ज्यादा इच्छाएं मानसिक अशांति का कारण बनती हैं.
परोपकार का भाव रखना बहुत अच्छा है लेकिन उस परोपकार के बदले उपकार का भाव रखना लालसा है. लालसा आते ही परोपकार का आपका सामर्थ्य कम होता है. आजमाई हुई बात है. ध्यान से सोचिए, सत्य लगेगा.
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संकलन व संपादनः राजन प्रकाश
प्रभु शरणम्