हवन कराने के लिए योग्य पंडित नहीं मिल रहे! घबराएं नहीं. आपको नवरात्रि हवन की सरल विधि बताते हैं. आप स्वयं कर सकते हैं घर में नवरात्रि हवन.
नवरात्रि अनुष्ठान करने वाले भक्त नवमी को हवन करते हैं. हवन को लेकर एक चिंता आम है. कौन कराएगा हवन, कैसे करें हवन. चूंकि उसी दिन सबको हवन करना है इसलिए ब्राह्मण की कमी हो ही जाती है. परंतु हवन के लिए किसी को खोजना जरूरी नहीं. आप स्वयं भी कर सकते हैं नवरात्रि का हवन. नवरात्रि हवन की संक्षिप्त विधि हम बता रहे हैं.
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नवरात्रि की पूजा में हवन का बड़ा महत्व है. सभी व्रती हवन जरूर करते हैं. हवन की तिथि यानी नवमी तिथि आने से पूर्व एक चिंता भी हो जाती है कि नवरात्रि हवन कैसे करें.
कोई योग्य वेदपाठी ब्राह्मण उपलब्ध नहीं होने पर वे परेशान रहते हैं. नवरात्रि में जिन लोगों ने कलश स्थापना की है उन्हें हवन के लिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं. वे स्वयं भी हवन कर सकते हैं.
यदि आपने कोई मंत्र जप संकल्पित होकर नवरात्रि में किया है तो उसका दशांश हवन कर देना चाहिए. कोई भी जप चाहे नवरत्रि का हो किसी और काल का वह बिना दशांश हवन के पूर्ण नहीं होता. लेकिन यदि कोई विशेष मंत्र संकल्प के साथ नहीं जपा है आपने तो इसकी आवश्यकता नहीं.
दशांश हवन का अर्थ होता है कि जितना जप किया है उसका दस प्रतिशत हवन कर देना. यानी आपने यदि सवा लाख मंत्र जपे हैं तो दस प्रतिशत. यानी 12,500 आहुतियां उसी मंत्र को पढ़ते हुए दें. परंतु ये बाध्यता तभी है जब आपने संकल्प लेकर जप आरंभ किया था. यदि संकल्प लेकर आरंभ नहीं किया था तो यह बाध्यता नहीं है. अगर यथासंभव हवन कर दिया जाए तो अच्छा ही है.
शास्त्रों में एक और मार्ग बताया गया है. यदि साढ़े बारह हजार आहुतियां देनी हैं तो जरूरी नहीं कि केवल जपकर्ता ही दे. एक व्यक्ति मंत्र पढ़ने के बाद स्वाहा कहता हो. 10 लोग इसी भाव से आहुतियां दे रहे हों कि वे भी इसी मंत्र के लिए आहुति दे रहे हैं. इस तरह सिर्फ 1,250 आहुति ही देनी होगी. सबके अंश से एक आहुति की गिनती हो जाएगी. इस प्रकार साढ़े बारह हजार आहुतियां पूर्ण मानी जाएंगी. यदि पांच लोग आहुति दे रहे हों तो 2500 आहुति देनी होगी.
आइए जानते हैं नवरात्रि हवन की सरल विधि.
नवरात्रि हवन की विधि बहुत सरल है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि कोई ब्राह्मण ही उपलब्ध हो. आप इस विधि को समझकर स्वयं हवन कर सकते हैं.
अब जानते हैं नवरात्रि हवन की विधिः
- पहले अपनी नियमित पूजा कर लें फिर हवन की तैयारी करें.
- हवनकुंड वेदी को साफ करें. कुण्ड का लेपन गोबर जल आदि से करें.
- फिर आम की चौकोर लकड़ी हवन के लिए लगा लें.
- नीचे में कपूर रखकर जला दें.
- अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो चारों ओर समिधाएं लगाएं.
हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.
इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें-
- ॐ प्रजापतये स्वाहा। इदं प्रजापतये न मम्।
- ॐ इन्द्राय स्वाहा। इदं इन्द्राय न मम्।
- ॐ अग्नये स्वाहा। इदं अग्नये न मम।
- ॐ सोमाय स्वाहा। इदं सोमाय न मम।
- ॐ भूः स्वाहा।
- उसके बाद हवन सामग्री से हवन शुरू कर सकते हैं.
इन मंत्रों से हवन शुरू करें-
- ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा
- ऊँ चंद्रयसे स्वाहा
- ऊं भौमाय नमः स्वाहा
- ऊँ बुधाय नमः स्वाहा
- ऊँ गुरवे नमः स्वाहा
- ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा
- ऊँ शनये नमः स्वाहा
- ऊँ राहवे नमः स्वाहा
- ऊँ केतवे नमः स्वाहा
इसके बाद गायत्री मंत्र से आहुति देनी चाहिए. गायत्री मंत्र इस प्रकार से हैः-
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
फिर आप इन मंत्रों से हवन कर सकते हैं-
- ऊं गणेशाय नम: स्वाहा,
- ऊं गौरये नम: स्वाहा,
- ऊं वरुणाय नम: स्वाहा,
- ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा,
- ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा,
- ऊं हनुमते नम: स्वाहा,
- ऊं भैरवाय नम: स्वाहा,
- ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा,
- ऊं स्थान देवताय नम: स्वाहा,
- ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा,
- ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा,
- ऊं शिवाय नम: स्वाहाऊं जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुते स्वाहा,
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माता के नर्वाण बीज मंत्र से 108 बार आहुतियां देनी चाहिए. मंत्र बहुत छोटा है.
नर्वाण बीज मंत्रः
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में इंद्रादि देवताओं द्वारा देवी स्तुति में 25 सुंदर मंत्र कहे गए हैं. उनसे हवन करना चाहिए.
ये मंत्र आपको पुस्तक में मिल जाएंगे. इऩ मंत्रों में देवी की प्रशंसा है. इसलिए ये मंत्र उत्तम कहे गए हैं. हर मंत्र के अंत में स्वाहा जोड़ लें.
या देवी सर्वभुतेषु विष्णुमायेति संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
इस मंत्र से आरंभ करके आप
या देवी सर्वभूतेषु भ्रांतिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
तक के मंत्रों से आहुति दें तो अच्छा रहेगा.
हवन के बाद नारियल के गोले में कलावा बांध लें. चाकू से उसके ऊपर के भाग को काट लें. उसके मुंह में घी, पान, सुपारी, लौंग, जायफल और जो भी प्रसाद उपलब्ध है, उसे रख दें.
बची हुई हवन सामग्री फिर उसमें डाल दें. यह पूर्ण आहुति की तैयारी है. फिर पूर्ण आहुति मंत्र पढ़ते हुए उसे हवनकुंड की अग्नि में रख दें.
पूर्णाहुति मंत्र-
ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णादिमं उच्यते, पुणस्य पूर्णम् उदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णभादाय पूर्णमेवावाशिष्यते।।
इस मंत्र को कहते हुए पूर्ण आहुति दे देनी चाहिए. उसके बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें, फिर आरती करें. क्षमा प्रार्थना करें.
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