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व्याध तैश में बोलता रहा- हम अपने व्याध नियम धर्म के अनुसार उतने ही प्राणी मारते हैं जिससे हमारे कुटुंब का पेट भऱ जाए. उसके अतिरिक्त हिंसा नहीं करते. हमारे लिए यही वृत्ति विधाता ने तय की है. हम अपने कर्मों से नहीं डिगते. आप अपने कर्म देखिए.
अपने वृद्ध पिता को त्यागकर यहां पर हैं. जिस माता ने अपने स्तनों से दूध पिलाकर पाला उसका सिर काटकर आपने खून बहाया. उस पाप को धोने के लिए तप का स्वांग कर रहे हैं. मेरा मुंह न खुलवाएं. इतना ही कहूंगा कि इन सब कारणों से आपका यह तप निष्फल है.
मैं आपका आचरण भली भांति जानता हूं. आप अन्यत्र चले जाइए जहां आपके कार्यों को कोई जानता न हो. मेरे विचार से आप व्यर्थ ही शरीर को कष्ट दे रहे हैं. ऐसे पातकी पर शिव की कृपा होगी इसकी दूर दूर तक कोई आशा नहीं है.
शिकारी को राम के बारे में सबकुछ पता था. इस बात से राम हैरान थे. राम ने माता का वध क्यों और किसके आदेश पर किया था? यह प्रसंग कुछ ही देर में अगले पोस्ट में पढ़ें.
यह प्रसंग अगली पोस्ट में….
संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्
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