हिंदुत्व की रक्षा के लिए आदि शंकराचार्य द्वारा किए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. आज प्रस्तुत है शंकराचार्य को समर्पित एक कथा.
आदि शंकराचार्य शास्त्रार्थ के लिए मंडन मिश्र के गांव पहुंचे और उनके घर का पता पूछा. लोगों ने कहा- जिस दरवाजे पर तोते भी आपस में शास्त्रार्थ करते दिखें समझ लीजिएगा वही घर मंडन मिश्र का है.
शंकराचार्य मंडन मिश्र के घर पहुंचे और उन्हें शास्त्रार्थ का निमंत्रण दिया. दोनों शास्त्रार्थ के लिए तैयार हुए समस्या थी कि ऐसे विद्वानों के बीच शास्त्रार्थ का निर्णायक कौन बनेगा.
विद्वानों के बीच शास्त्रार्थ के निर्णायक को भी प्रतिस्पर्धियों जैसा ज्ञान तो होना ही चाहिए. शंकराचार्य ने इसके लिए मंडन मिश्र की पत्नी भारती देवी का नाम सुझाया.
मंडन मिश्र और शंकराचार्य के बीच शास्त्रार्थ सोलह दिन तक लगातार चला. भारती देवी को कुछ आवश्यक कार्य के लिए बाहर जाना था लेकिन हार-जीत का निर्णय अभी हुआ नहीं था.
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आपका आभार, कथाsमृत पान से निश्चित ही सभी अन्धकार नष्ट हो जाते है, ज्ञान नेत्रों जिनका उद्देश्य केवल और एकमात्र यही है हरिहर दर्शन करना, हरिकथा इनको जाग्रत करने का एक सुलभ साधन है, आपकी अति कृपा हुई जो मुझे आज आपके पेज पर आने का अवसर मिला, भगवान की कृपा का कोई अंत ही नही है, इसी प्रकार हरिकथा भी अनंतानंत है, भगवान से प्रार्थना है कि इस सौभाग्य को नित्यप्रति करें !