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प्रलंयकारी हुंकार भरती हुई महाकाली दौड़ रहीं थी. उनके वेग से संसार कांप रहा था. प्रलय की आशंका थी.

असुरों के साथ ही देवतागण भी भयभीत थे. उन्हें भय था कि यदि क्रोध को शांत न किया गया तो महाकाली सर्वनाश कर देंगी.

सभी ने शिवजी की ओर देखा. शिवजी रणभूमि में लेटे थे तभी महाकाली के चरण शिवजी पर पड़ गए.

जब उन्होंने शिवजी को पैरों के नीचे देखा तो वह एकदम से ठिठक गईं. उन्हें आशंका हुई कि क्या उन्होंने शिवजी पर प्रहार कर दिया है?

महाकाली संकोच में पड़ गई. उन्होंने युद्धभूमि नें दृष्टि दौड़ाई तो वहां असुरों का कोई नामोनिशान न था. यह देखकर उनका क्रोध शांत हो गया. (मार्कण्डेय पुराण)

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