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एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है? ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी. इसलिए वह स्वयं को श्रेष्ठ मानते थे.
भगवान विष्णु का कहना था कि रचना करने से ज्यादा कठिन है पालन करना. वह सृष्टि के पालनकर्ता हैं इसलिए वह ब्रह्मा से श्रेष्ठ हैं.
सामान्य चर्चा ने विवाद का रूप ले लिया. विवाद बढ़ता जा रहा था. तभी वहां एक विराट ज्योतिर्मय लिंग प्रकट हुआ. उस ज्योतिर्लिंग को कोई ओर-छोर नहीं दिखता था.
आकाशवाणी हुई कि ब्रह्मा और विष्णु में से जो भी इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा, उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा. दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग का छोर ढूढंने निकले.
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