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अब महादेव स्वयं युद्ध के लिए आ गए. देवगण सांसें रोके आकाश से युद्ध देख रहे थे. जब भोलेनाथ ने युद्ध क्षेत्र में प्रवेश किया तो उनके तेज से श्रीराम की सेना मूर्छित हो गयी.

जब श्रीराम ने रणक्षेत्र में महादेव को देखा तो शस्त्र त्यागकर उन्हें प्रणाम कर स्तुति की. श्रीराम ने शिव की स्तुति करते कहा- आपके ही प्रताप से मैंने रावण का वध किया. यह अश्वमेघ यज्ञ भी आपकी ही इच्छा से हो रहा है. आप प्रसन्न हो युद्ध का अंत करें.

शिवजी बोले- हे प्रभु श्रीराम मैं तो स्वयं आपका अनुरागी हूं. आपसे युद्ध की सोच भी नहीं सकता लेकिन मैंने वीरमणि की रक्षा का वरदान दिया है. वरदान से पीछे नहीं हट सकता. आप संकोच छोड़ कर मुझसे युद्ध करके मुझे हर्षित करें.

महादेव की आज्ञा मान कर श्रीराम ने युद्ध आरंभ किया. भीषण युद्ध छिड़ गया. श्रीराम ने अपने सारे दिव्यास्त्रों का प्रयोग महादेव पर कर दिया पर वह महादेव को संतुष्ट नहीं हो सके. कोई राह नहीं निकल रही थी.
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4 COMMENTS

    • आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
      आप नियमित पोस्ट के लिए कृपया प्रभु शरणम् से जुड़ें. ज्यादा सरलता से पोस्ट प्राप्त होंगे और हर अपडेट आपको मिलता रहेगा. हिंदुओं के लिए बहुत उपयोगी है. आप एक बार देखिए तो सही. अच्छा न लगे तो डिलिट कर दीजिएगा. हमें विश्वास है कि यह आपको इतना पसंद आएगा कि आपके जीवन का अंग बन जाएगा. प्रभु शरणम् ऐप्प का लिंक? https://goo.gl/tS7auA

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