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शत्रुघ्न के नेतृत्व में श्रीराम का अश्वमेघ का घोड़ा देवपुर पहुंचा. वहां के राजा वीरमणि श्रीराम एवं महादेव के बड़े भक्त थे. रामसेना में हनुमान, सुग्रीव और भरत पुत्र पुष्कल जैसे महारथी चल रहे थे जिन्हें जीतना देवताओं के लिए भी संभव नहीं था.
वीरमणि के दोनों बेटे रुक्मांगद और शुभंगद भी बड़े वीर थे. राजा वीरमणि ने तप से भगवान शंकर को प्रसन्न किया था. महादेव ने उनकी और उनके राज्य की रक्षा का वरदान दिया था.
महादेव के द्वारा रक्षित होने के कारण कोई भी देवपुर राज्य पर आक्रमण करने का साहस नहीं करता था. वीरमणि के पुत्र रुक्मांगद ने अश्वमेध का अश्व पकड़ लिया. उसने शत्रुघ्न को युद्धकर घोड़ा छुड़ा लेने की चुनौती दी.
जब वीरमणि को पता चला कि उनके बेटे ने अनजाने में श्रीराम के यज्ञ का घोडा पकड़ लिया है तो वह चिंतित हुए. वीरमणि ने बेटे को समझाया कि श्रीराम से शत्रुता नहीं करनी चाहिए. उनका घोडा वापस लौटा दो.
रुक्मांगद ने कहा कि अब तो उसने शत्रुघ्न को चुनौती भी दे दी है, इसलिए पीछे हटने से हमारा और प्रभु राम दोनों का अपमान होगा. वीरमणि से आज्ञा लेकर रुक्मांगद श्रीराम की सेना से युद्ध के लिए तैयार हुआ.
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Your comment..4 Ved aur 18 Purano me kitni sachchai hai ?
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