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नंदा ने अपने पूरे शरीर में सभी देवों को समाहित कर लिया. देवताओं ने तत्क्षण उन्हें अपनी माता मान लिया. उनके शरीर में स्थान मांगा और गुणगान करने लगे.

लक्ष्मीजी तक बात पहुंची औऱ उन्होंने भी नंदा से अपने लायक स्थान मांगा.

नंदा ने कहा- एक ऐसा कोई स्थान नहीं बचा जहां हे भगवती मैं आपको प्रतिष्ठित कर सकूं.

सभी देवों ने कोई न कोई स्थान ग्रहण कर लिया है. अब मात्र गोबर ही शेष है किंतु आपको मैं वहाँ कैसे स्थान दूं?

लक्ष्मीजी उनकी सरलता पर खुश हो गईं. उन्होंने गोबर को ही अपना अंश स्वीकार किया. इसीलिए पूजा में सबसे पहले गोबर-गणेश की पूजा होती है. गोबर को ऐश्वर्यदायक माना जाता है.

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