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मैंने आपको कल केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा सुनाई थी कि पांडवों को साक्षात दर्शन देने से बचते हुए भोलेनाथ ने भैंसे का रूप धर लिया था. भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली और सभी पांडव स्तुति करने लगे. प्रसन्न होकर प्रभु ने पांडवों को दर्शन दिए.
स्कन्द पुराण में ही महिष रूपधारी भगवान शिव की केदारधाम से जुड़ी एक अन्य कथा भी आती है. उस कथा में भी केदार क्षेत्र का वर्णन है. वह कथा भी सुना देता हूं.
एक बार असुरों ने जब देवलोक पर आक्रमण कर उसे जीत लिया तो इंद्र आदि देवता जान बचाकर भागे. देवराज इन्द्र इस संकट से मुक्ति के लिए भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए केदारक्षेत्र में तप करने लगे.
इन्द्र के साथ अन्य देवताओं ने भी महादेव की अत्यंता श्रद्धापूर्वक आराधना शुरू की. उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए. महादेव ने उनकी पीड़ा का अंत करने की आकाशवाणी की.
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well done but full story published