गृहक्लेश, कर्ज या मानसिक समस्याओं से हैं परेशान तो महादेव की शरण लें.  इन समस्याओं से निवारण के लिए शिवजी के कुछ मत्र कहे गए हैं. जिनका जप करने से गृहक्लेश, कर्ज और मानसिक पीड़ा में राहत मिलती है. सावन मास इसके आरंभ का सबसे उत्तम समय है.

सावन मास शिवजी की आराधना का सबसे उत्तम काल माना गया है. यदि पीड़ा नाश के अनुष्ठान की बात हो तो सावन और महत्वपूर्ण हो जाता है. सावन में ही शिवजी ने विष धारण किया था. हलाहल विष के कष्ट का अनुभव किया था. इसलिए इस ऋतु में शिवजी की विशेष रूप से सेवा की जाती है. सावन में की गई भक्तों की प्रार्थनाएं शिवजी विशेष रूप से सुनते हैं. गृहक्लेश, कर्ज या मानसिक कष्ट से जीवन दूभर हो गया है तो शिवजी की शरण लीजिए.

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आज 17 विशेष मंत्र बताएंगे जिससे शिवजी की आराधना से सिर पर से कर्ज बोझ उतरता है. गृहक्लेश से राहत मिलती है. अचानक आने वाली मानसिक समस्याओं से रक्षा होती है.

इन मंत्रों को जानने से पहले यह समझते हैं कि ज्योतिषशास्त्र में शिव आराधना का इतना महत्व क्यों कहा गया है. यह जानकारी की बात है. सभी को यह बातें जाननी चाहिए.

ज्योतिष में कर्ज के लिए जो ग्रह सबसे बड़ा कारक माना जाता है वह है भौम मंगल. पुराणों के अनुसार मंगल का जन्म शिवजी के स्वेद यानी पसीने से हुआ है. कुछ पुराण इसे भगवान नरसिंह और पृथ्वी की संतान भी बताते हैं. खैर, मंगल ग्रह के स्वामी हैं हनुमानजी. हनुमानजी रूद्ररूप हैं. भयंकर कर्ज से पीड़ित हैं तो कर्ज मुक्ति के लिए ऋणमोचक मंगल स्तोत्र जप भी बताया गया है. यह आप किसी योग्य ज्योतिषी के परामर्श से करा सकते हैं. स्वयं जपना हो तो यह मंत्र प्रभु शरणम् ऐप्प के सूर्य एवं नवग्रह मंत्र सेक्शन में देख सकते हैं. ऐप्प इस लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं-

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इस तरह देखा जाए तो मंगल शिवजी का शरणागत है.  हनुमानजी की आराधना से मंगल शांत रहते हैं. शिवजी की आराधना से भी मंगल के कष्ट में लाभ मिलता है.

मानसिक कष्टों का एक कारण बुध भी हो सकते हैं. बुध ग्रह के स्वामी हैं गणेशजी. शिवपरिवार से हैं. इसलिए बुध ग्रह पर भी शिवजी का विशेष प्रभाव है.

शुक्र दैत्यगुरू हैं. उन्हें शिवजी ने अपने अंदर रख लिया था पर शुक्र मूत्रमार्ग से बाहर आए, क्षमा प्रार्थना की और कहा कि मुझे पुत्ररूप में मान लीजिए. माता पार्वती ने भी शिवजी से शुक्र को क्षमा करने की सिफारिश की. शिवजी प्रसन्न हो गए और शुक्र को वह मृतसंजीवनी विद्या प्रदान की जो शिवजी के अतिरिक्त और कोई नहीं जानता था. शिवजी की पूजा से शुक्र प्रसन्न रहते हैं. शुक्र के प्रसन्न रहने से दांपत्य जीवन में शैय्या सुख रहता है.

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शनि को तो जो भी प्राप्त है वह सब शिवकृपा ही है. शिवजी ने ही शनि को ग्रहमंडल में स्थान दिया. ग्रहों के बीच न्यायाधीश का पद दिया और एकभाव से न्याय करने का आदेश दिया. शनि की कृपा शिवजी और हनुमानजी की विशेष पूजा से प्राप्त होती है. यदि शनि शांत हैं और सहयोग कर रहे हैं तो जीवन बड़ा सुखमय रहता है. यदि शनि अशांत हो जाएं तो सोना छूने से भी गोबर हो जाने की आशंका रहती है.

अब बाद ग्रहमंडल के चमकीले ग्रह चंद्रमा की कर लें. चंद्रमा को ससुर से कोढ़ी होने का शाप मिल गया. वैसे तो रिश्ते में चंद्रमा शिवजी के साढू भाई भी हैं. कोढ़ से मुक्ति के लिए चंद्रमा ने सोमनाथ में तपस्या करके शिवजी को प्रसन्न किया. शिवजी ने कोढ़मुक्त किया और अपने शीश में स्थान दिया. चंद्र की बाधा से पीड़ित जातकों को शिवजी की ही पूजा करनी होती है.

चंद्रमा के दोष के कारण मन अशांत रहता है. मानसिक बाधाएं रहती हैं. किसी भी काम में मन नहीं लगता है. ये सब परेशानियां मिलकर किसी व्यक्ति का जीवन और परेशान कर देती हैं. इसलिए चंद्रमा का अनुकूल रहना भी जरूरी है.

शिवजी की पूजा-अर्चना से इतने ग्रह तुष्ट और प्रसन्न होते हैं. इसलिए शिवजी की आराधना कुछ विशेष मंत्रों से करें. इसकी शुरुआत सावन मास से हो तो अतिउत्तम. यदि सावन में नहीं कर रहे हैं तो किसी भी मास की मास शिवरात्रि भी उचित है.

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कर्जमुक्ति, गृहक्लेश, मानसिक शांति के लिए इन 17 मंत्रों से करें शिव आराधनाः

आसपास शिवमंदिर तो जिनके सिर पर कर्ज ज्यादा हो, गृहकलह हो वे शिवमंदिर जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्रों से शिवजी का स्मरण कर संकट मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करें. आप ये मंत्र सुबह में या संध्याकाल में भी जप सकते हैं. सुबह जप रहे हैं तो शिवजी का ऊँ नमः शिवाय मंत्र से जलाभिषेक करने के बाद करें. संध्याकाल में कर रहे हैं तो जल न चढ़ाएं, एक दीपक जला दें और फिर बैठकर प्रार्थना करें.

१) ॐ शिवाय नम:
२) ॐ सर्वात्मने नम:
३) ॐ त्रिनेत्राय नम:
४) ॐ हराय नम:
५) ॐ इन्द्रमुखाय नम:
६) ॐ श्रीकंठाय नम:
७) ॐ सद्योजाताय नम:
८) ॐ वामदेवाय नम:
९) ॐ अघोरहृदयाया नम:
१०) ॐ तत्पुरुषाय नम:
११) ॐ ईशानाय नम:
१२) ॐ अनंतधर्माय नम:
१३) ॐ ज्ञानभूताय नम:
१४) ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
१५) ॐ प्रधानाय नम:
१६) ॐ व्योमात्मने नम:
१७) ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:

ऊपर बताए मंत्र का उच्चारण करने के बाद अपने इष्ट को, गुरु को प्रणाम करके इस शिव गायत्री मंत्र का जप करें–

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे।
महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।

शिवजी को प्रणाम करते हुए ऊपर बताए 17 मंत्रों का उच्चारण करने के बाद शिवजी से कहें- हे महादेव मेरे सिर से यह कर्ज भार उतर जाए. यह कलह कलेश मिट जाए. मैं निर्भार जीवन जी सकूं, भक्ति में आगे बढ़ सकूं. केवल समस्या को याद न करता रहूं.

यह कर्ज के स्थान पर अपना जो कर्ज खत्म करना चाहते हैं उसे बोलें. मन में ही बोलें. उसी तरह कलह-क्लेश के लिए भी उस कलह का नाम ले सकते हैं.

अब ये मंत्र आपको सालभर तक कम से कम जपना है. 17 मंत्र हैं एक बार में याद होंगे नहीं. उच्चारण भी धीरे-धीरे करते साफ होगा. तो फिर इसका क्या विकल्प निकाला जाए?

इसका सरल विकल्प बताते हैं. इन मंत्रों को प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प के शिवमंत्र संग्रह सेक्शन में शिव स्मरण प्रार्थना के नाम से मिल जाएगा. मंदिर आदि में भी आपके पास मोबाइल रहेगा ही. मंदिर में मोबाइल से देखकर पूजा करने में कोई हर्ज नहीं है. बस एक मिनट का एक छोटा सा काम कर लेना है.

बाईं अंजुली में जल उसे दाहिनी हथेली से ढंके. फिर नीचे दिया पवित्रीकरण मंत्र पढ़ें और फिर अपने शरीर के ऊपर तीन बार जल को छिड़क लें-

“ऊँ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा।

यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सः बाह्य अभ्यन्तरः शुचिः।।”

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यह मंत्र भी ऐप्प के दैनिक पूजन विधि सेक्शन में मिल जाएगा. आपकी सुविधा के लिए ऊपर बताई शिवप्रार्थना में भी आज जोड़ दिया जाएगा ताकि सरलता से पाठ कर सकें. पूरी श्रद्धा से शिवजी की उपासना करें. आपको लाभ दिखने लगेगा.

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