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महिलाओं के लिए बृहस्पति पति, पुत्र तथा धन का प्रतिनिधि ग्रह है. इसलिए कन्याओं के विवाह पर गुरु की स्थिति का सबसे ज्यादा प्रभाव होता है.

बृहस्पति या गुरु ऐसा ग्रह है जो विवाह का कारक बनता है. इसलिए अगर गुरु को ठीक कर लिया जाए तो दूसरे ग्रहों के दोषों को कम कर विवाह का योग बनाया जा सकता है.

इन ग्रहों के दोष के अलावा पूर्वजन्म के कारक और पितरों (माता-पिता औऱ पूर्वजों तक) का दोष भी विवाह में विलंब कराता है. ज्योतिषशास्त्र में अगर विलंब के कारण बताए गए हैं तो उसे दूर करने के उपाय भी हैं.

आज हम कन्याओं के शीघ्र विवाह के उपाय बता रहे हैं. ग्रहों की स्थिति और पितरों का दोष- दो कारक आपके विवाह में बाधक बन रहे हैं. दोनों की शांति कैसे करें-

पितरों का दोष शांत करने के घरेलू व मुफ्त के उपायः
माता का सम्मान करें. उनकी खूब सेवा करें.
यदि घर में भाभी या चाची हों तो उनका सम्मान करें. सेवा से उनको प्रसन्न रखें. गौरी कृपा से उन्हें वर मिला है. इसलिए उनका सम्मान कर आप गौरी का आशीर्वाद ले रही हैं.
घर की पहली रोटी गाय को खिलाएं.
सूर्यदेव को प्रणाम करें.

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