यह सिर्फ श्रीराम की लीला कथा भर नहीं है, इस कथा के माध्यम से एक बहुत बड़ा संदेश, एक महत्वपूर्ण संकेत भी दिया है प्रभु श्रीराम ने हम सभी रामभक्तों के लिए. कथा को पूरी पढ़िएगा क्योंकि मूल बात कथा के आखिर में आई है.
भगवान श्रीराम समुद्र पर पुल बांध रहे थे तब उन्होंने सभी विध्नों का नाश करने के लिए गणेशजी की स्थापना कर नल के हाथों से नवग्रहों की नौ प्रतिमाएं स्थापित कराईं.
श्रीराम को रामेश्वरम में (जहां भूमि से सागर का संयोग होता है) अपने नाम पर एक शिवलिंग स्थापित करने की इच्छा हुई.
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उन्होंने हनुमानजी को बुलाकर कहा- आप काशी चले जाइए और भगवान शंकर से मांगकर एक शिवलिंग ले आइए. लेकिन ध्यान रहे शुभ मुहूर्त बीतने न पाए.
हनुमानजी उड़े और क्षण भर में काशी पहुंच गए.
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शिवजी बोले- मैं खुद ही दक्षिण की ओर जाने की सोच रहा था क्योंकि विंध्याचल को नीचा करने के लिए अगस्त्यजी यहां से चले गए हैं लेकिन उन्हें मेरे बिना मन नहीं लग रहा. वह मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं.
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