October 8, 2025

जाहि विधि राखें राम ताहि विधि रहिएः निष्काम भक्ति की प्रेरक कथा

krishna

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ठाकुरजी का एक भक्त अपने नियम-विधान को लेकर पक्का था. नियमित ठाकुरजी के मंदिर जाकर दर्शन करता. चाहे कुछ भी हो जाए तीनो संध्या नियम से पूजा-पाठ करता.

इसी दिनचर्या में उसके 20 साल पूरे हुए. नगर के सभी छोटे-बडे व्यक्ति को ठाकुरजी के प्रति उसकी अगाध भक्ति के बारे में पता था. इस कारण उसका सभी बड़ा सम्मान करते.

ठाकुरजी का वह भक्त पूजा पाठ के बाद मंदिर में एक ही स्थान पर बैठा करता. लोग उसका सम्मान करते और उसके बैठने की जगह पर कोई और नहीं बैठता था. उस जगह को खाली रखकर भक्त को सम्मान देते थे.

जिस दीवार के सहारे वह मंदिर में बैठता था उस दीवार में गड्ढ़ा पड गया था. अब तो उस स्थान को देखकर लोगों में उसकी भक्ति के प्रति श्रद्धा सम्मान आता और भक्त के लिए सहानुभूति.

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