नवरात्रि माता जगदंबा की विशेष आराधना का समय है. आज हम माता के अत्यंत प्रभावशाली नवार्ण मंत्र की महिमा पर चर्चा करेंगे.
यदि कोई माता का साधक नियम से प्रतिदिन कम से कम एक माला नवार्ण मंत्र का भी जाप करता है तो उसके आसपास कोई ऊपरी बाधाएं और विनाशकारी शक्तियां फटकने का साहस भी नहीं करतीं. नवरात्रि के नौ दिनों में माता के साधक सवा लाख जप से मंत्र को सिद्ध करते हैं. मंत्र को सिद्ध करने के विषय पर कभी और चर्चा होगी आज हम जानेंगे इस महामंत्र का माहात्म्य.
नवार्ण मंत्रः
“ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
सभी मंत्रों का पावरहाउस यानी शक्तिकेंद्र माने जाने वाले सिद्धकुंजिका स्तोत्र में समाए नवार्ण मंत्र में आदिशक्ति की लीला कथा बीज रूप में समाई हुई है.
कुछ विद्वान मानते हैं कि श्रीदुर्गासप्तशती में त्रिविध चरित्र एवं 700 मंत्रों के विकास का आधार है- नवार्ण मंत्र.
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मंत्रवेत्ता यानी मंत्रों के रहस्य का अध्ययन करने वाले विद्वान “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” इन नौ मंत्राक्षरों वाले नवार्ण महामंत्र में 33 कोटि देवी देवताओं के जो विविध मंत्र हैं, उन सबका सार भी देखते हैं.
जगत् जननी भगवती दुर्गा की साधना-उपासना का नवार्ण मंत्र एक ऐसा महत्वपूर्ण महामंत्र है जिसके नौ अक्षरों में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति है. इसकी साधना से सभी क्षेत्रों में पूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है और भगवती दुर्गा का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है.
अब हम जानेंगे कि ऐसी कौन-कौन सी विशेषताएं हैं जिसके कारण नवार्ण मंत्र को महामंत्र कहा जाता है. वैसे तो आजकल किसी भी मंत्र को महामंत्र कह देने की परंपरा चल पड़ी है जो अनुचित है. मंत्रवेत्ता नवार्ण मंत्र को महामंत्र मानने के पीछे बहुत से ऐसे कारण देते हैं जो अद्भुत है.
इस मंत्र से भगवती दुर्गा के तीनों स्वरूपों महासरस्वती, महालक्ष्मी व महाकाली की एक साथ साधना हो जाती है साथ ही मां दुर्गा के नौ रूपों की संयुक्त रूप से स्तुति हो जाती है.
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नवग्रहों की आराधना उपासना हर विशेष अनुष्ठान के आरंभ से पहले आवश्यक है. नर्वाण मंत्र के माध्यम से नौ ग्रहों की आराधना और शांत भी हो जाती है. इसलिए इसे महामंत्र की श्रेणी में रखा जाता है.
नवार्ण मंत्र की व्याख्याः
|| ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ||
ऐं मां सरस्वती का बीज मन्त्र है.
ह्रीं मां महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है.
क्लीं मां महाकाली का बीज मन्त्र है.
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