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भगवान ने मणि सत्राजित को वापस कर कलंक से मुक्ति पाई. सत्राजित लज्जित हुए. उन्होंने श्रीकृष्ण को स्यतंक मणि दे दी और अपनी पुत्री सत्यभामा का उनसे विवाह कर दिया.
सत्यभामा को प्रभु ने पटरानी का दर्जा दिया. जिस दिन सत्राजित ने प्रभु पर आरोप लगाया था वह भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी थी. मान्यता है कि इस दिन चंद्र दर्शन करने से कोई बड़ा कलंक लगता है. उससे मुक्ति के लिए कृष्ण और सत्यभामा के विवाह की कथा जरूर सुननी चाहिए.
&&&(विष्णु पुराण की कथा)&&&
संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली
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