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चोरी का कलंक लगने से क्षुब्ध श्रीकृष्ण कुछ बहादुर लोगों के साथ प्रसेन को खोजने निकले. एक गुफा से निकलती चमक को देखकर उन्होंने साथियों से गुफा के बाहर प्रतीक्षा करने को कहा और खुद अंदर चले गए.

गुफा में जामवंत से उनका युद्ध आरंभ हुआ. जामवंत ब्रह्मा के पुत्र थे और लंका विजय में उन्होंने श्रीराम का साथ दिया था. जामवंत के साथ श्रीकृष्ण का युद्ध 22 दिनों तक चला.

जामवंत को आशीर्वाद था कि श्रीकृष्ण के अलावा कोई और उन्हें द्वंद्व में नहीं हरा सकता. उन्हें समझ में आ गया कि स्वयं प्रभु के साथ वह युद्ध कर रहे हैं तो पैरों में गिर गए.

उन्होंने श्रीकृष्ण को स्यंतक मणि सौंपते हुए उनसे विनती कि वह उनकी पुत्री जामवंती से विवाह करें. भगवान जामवंती से विवाहकर स्यंतक मणि लेकर द्वारका लौटे और सारी बात महाराजा उग्रसेन जी बताई.
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