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गंगा किनारे एक संत का आश्रम था. आश्रम में रहकर तीन शिष्य शिक्षा प्राप्त करते थे. जैसा कि हर गुरू करते हैं, वह संतजी समय-समय पर अपने शिष्यों की परीक्षा लेते रहते थे.

एक दिन उन्होंने शिष्यों को बुलाया और मंदिर बनाने का आदेश दिया. तीनों शिष्य गुरू की आज्ञा से मंदिर बनाने लगे. मंदिर पूरा होने में काफी दिन लग गए.

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