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प्रभु ने पूछा- नारद पानी नहीं लगाए. बहुत जोर की प्यास लगी है. नारद प्रभु के चरणों में बैठकर आंसू बहाने लगे. उनके अश्रु से प्रभु के पांव धुल गए.

प्रभु ने कहा- नारद रोते क्यों हो. अभी कुछ पल पहले ही तो गए थे. विलंब नहीं हुआ है. देखो कहीं पानी मिल जाए. नारद को तो लगता था कि कई वर्षों बाद लौटे हैं.

वह समझ गए कि उनके मन में आया गर्व तोड़ने के लिए नारायण की रची यह माया थी. आंखें खुल गईं थीं और वह पहले की तरह नारायण नाम की महिमा गाने लगे.

प्रभु के मन में सभी भक्त का समान स्थान है. प्रभु की दृष्टि में यदि किसी भक्त को अपना स्थान बढ़ाना है तो एकमात्र रास्ता है- संसार में भक्ति की अलख जगाना. किसी आडंबर या दिखावे से प्रभु की नजरों में स्थान नहीं बढ़ता.

प्रभु शरणम् इसी उद्देश्य के साथ बनाया गया. आडंबरों में पड़ने से बेहतर है कि आप और हम मिलकर संसार में भक्ति की अलख जगाएं और प्रभु की नजरों में श्रेष्ठ बनें.

यदि आप भी कोई धार्मिक या प्रेरक कथा भेजना चाहते हैं तो मेल करें askprabhusharnam@gmail.com पर या 9871507036 पर Whatsapp करें. कथा अप्रकाशित और प्रकाशन के योग्य रही तो हम उसे स्थान देंगे.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

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