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भाद्रपद की षष्ठी को श्रीकृष्ण के बडे भाई बलरामजी का अवतार हुआ. बलरामजी श्रीहरि विष्णु सेवक शेषनागजी के अवतार कहे जाते हैं. भगवान ने जब रामावतार लिया था तो शेषजी छोटे भाई लक्ष्मण के रूप में आए थे.
कहा जाता है, मेघनाद के वध के लिए शेषजी ने कठिन तप किया था. उन्होंने श्रीराम की अद्भुत सेवा की थी. शेषजी की लीला का संवरण बहुत दुखद हुआ. श्रीराम ने उन्हें राज्य के त्याग का आदेश दिया.
लक्ष्मणजी अपने बड़े भैया के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते थे. इसलिए उन्होंने राज्य को त्यागे के स्थान पर जीवन ही त्याग दिया. श्रीराम ने शेषजी के सेवाभाव को देखकर अगले जन्म में उन्हें बड़े भाई बनने को कहा.
बलरामजी ने श्रीकृष्णजी की लीला में उनका साथ देते हुए कई असुरों का वध किया. वह मल्लयुद्ध और गदायुद्ध में पारंगत थे. बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है. इसलिए हलधर भी कहे जाते हैं. उन्हीं के नाम पर हर छट रखा गया.
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