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श्रीविष्णु के सुधाव पर महादेव ने अष्ट मातृकाओं को अंधक के रक्त की बूंदों को धरती पर गिरने से रोकने के लिए कहा. देवियों ने चर्चिका जैसी असंख्य देवियां पैदा कर दीं जो अंधक का रक्त पीने लगीं.
महादेव ने एक-एक करके अंधक के सभी अंशों का अंत कर दिया जबकि मूल अंधक उनके त्रिशूल पर लटका था. महादेव ने उसी तरह उसे सहस्त्र वर्षों तक लटकाए रखा.
अंधक का रक्तहीन शरीर सूखकर कांटे जैसा हो गया. शुक्राचार्य के समझाने पर उसने महादेव से क्षमा मांग ली. उसने पार्वती को अपनी माता स्वीकार लिया और क्षमा के लिए गिड़गिडाने लगा.
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