October 8, 2025

हार का दोषी कौनः भगवान, किस्मत या स्वयं इंसान

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एक राजा के दरबार में विरोचन और मुनि नामक दो गायक थे. विरोचन की गायकी प्रतिभा का पूरा दरबार कायल था. हर कोई उसे ही सुनना चाहता था. मुनि को यह बात अखरती थी.

मुनि ने धीरे-धीरे इसे अपनी किस्मत मानते हुए समझौता कर लिया. अब दरबार में केवल विरोचन गाते थे तो विरोचन ही सुने जाते, मुनि की प्रतिभा दबती चली गई.

लगातार खुद की उपेक्षा होते देख, मुनि ने अपना नियमित अभ्यास भी छोड़ दिया. वह रोज शिव मंदिर के सामने बैठकर खुद की किस्मत और भगवान को कोसता रहता.

एक दिन भगवान ने सोचा क्यों ना इसकी भी सुन ली जाए. मुनि मंदिर में बैठा भगवान को अपनी खराब किस्मत के लिए कोस रहा था तभी शिवजी प्रकट हो गए. महादेव ने मुनि पूछा- तुम क्या चाहते हो?

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