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महादेव ने कहा- मैं तो कैलाश के अलावा कहीं जाता नहीं. इस तरह के आयोजनों से तो मुझे दूर रखो. अगर आप गणेशजी को बुला सकें तो अच्छा होगा.
कुबेर बात का मर्म नहीं समझे, छूटते ही बोले- अवश्य प्रभु. गणों के साथ गणेशजी भी आएंगे. मैं उनसे विनती करूंगा.
महादेव ने कहा- कुबेर सोच-विचार कर निर्णय करिएगा. हमारे लंबोदर की खुराक कुछ ज्यादा है. कई बार वह भोजन करना आरंभ करते हैं तो कई दिनों तक रूकते नहीं.
कुबेर का अभिमान जागा- प्रभु मैंने जितना बड़ा आयोजन रखा है उतना बड़ा आयोजन आज तक किसी ने न तो किया है और न ही कर सकेगा.
कुबेर गणेशजी को निमंत्रण देने गए. गणेशजी भी दिव्यदृष्टि से सारी बातें जान गए. उन्होंने निमंत्रण स्वीकार तो लिया लेकिन कुबेर को सावधान किया कि भोजन की कमी न होने पाए.
कुबेर तिलमिला गए. उनका अभिमान सर चढ़कर बोला- गणेशजी अभी तो आप बालक हैं. मैं अलकापुरी में ऐसा प्रबंध करुंगा कि स्वयं प्रजापति भी अचंभित रह जाएंगे.
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