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माता पार्वती शिवजी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप कर रही थीं. उनके तप को देखकर देवताओं ने शिवजी से देवी की मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना की.
शिवजी ने पार्वतीजी की परीक्षा लेने सप्तर्षियों को भेजा. सप्तर्षियों ने शिवजी के सैकड़ों अवगुण गिनाए पर पार्वतीजी को महादेव के अलावा किसी और से विवाह मंजूर न था.
विवाह से पहले सभी वर अपनी भावी पत्नी को लेकर आश्वस्त होना चाहते हैं. इसलिए शिवजी ने स्वयं भी पार्वती की परीक्षा लेने की ठानी.
भगवान शंकर प्रकट हुए और पार्वती जो वरदान देकर अंतर्ध्यान हुए. इतने में जहां वह तप कर रही थीं, वही पास में तालाब में मगरमच्छ ने एक लडके को पकड लिया.
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