एक बार ऋषियों का समूह सूत जी के समीप पहुंचा और सबने मिलकर आग्रह किया- महाराज! आप हम लोगों को यह बतलाने की कृपा करें कि किस स्तोत्र के पाठ करने से वेदों के पाठ करने का फल प्राप्त होता है और सारे पाप समाप्त हो जाते हैं.
धार्मिक व प्रेरक कथाओं के लिए प्रभु शरणम् के फेसबुक पेज से जु़ड़े, लिंक-
[sc:fb]
सूत जी ने उन्हें कथा सुनाई– इस विषय में आपको एक कथा सुनाता हूं. राजा विक्रमादित्य के राज्य में एक ब्राह्मण रहता था. ब्राह्मण पूजा-पाठ करके अपनी जीविका चलाता था.
उसकी स्त्री का नाम था कामिनी. एक बार ब्राह्मण श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ करने के लिये नगर से बाहर गया हुआ था. इधर उसकी स्त्री कामिनी बुरे कामों में लग गयी.
कामिनी अच्छे चरित्र की नहीं थी. काम कुकर्म में रत रहने वाली कामिनी पति के न रहने पर दुराचारी हो गयी. इस कुकर्म से उसे एक पुत्र हुआ जो बुरी आदतों वाला था.
कामिनी का यह पुत्र व्याधकर्मा नाम से जाना गया. व्याधकर्मा ब्राह्मण होकर भी शास्त्रों से दूर था. शिक्षा-दीक्षा से कोई सरोकार नहीं था साथ ही वह बड़ा धूर्त भी था. नाम के अनुरूप पापकर्म में लगा रहता और इसके लिए वह कुख्यात हुआ.
कालांतर में ब्राह्मण ने अपनी स्त्री एवं पुत्र को निरंतर निन्दित कर्म और पापमय आचरण करते देखकर उन दोनों को घर से निकाल दिया. ब्राह्मण स्वयं भी विन्ध्याचल पर्वत पर चला गया.
विंध्य पर्वत पर जाकर ब्राह्मण धर्म में तत्पर रहते हुए प्रतिदिन चण्डीपाठ करता था. मां जगदम्बा की कृपा से वह जीवन से मुक्त हो गया. इधर दोनों माता-पुत्र कामिनी और व्याधकर्मा एक केवट के घर चले गए और वहीं रहने लगे.
केवट के घर रहकर दोनों सारे बुरे कर्म करते रहे. दोनों पहले से ही चोरी और व्याभिचार में रत रहे थे. बुरे कर्मो के माध्यम से वे धन-संग्रह करने लगे. व्याधकर्मा धीरे-धीरे घोप पापी हो चुका था.
ऐसे ही घूमते-घामते एक दिन दैवयोग से व्याधकर्मा देवी के मंदिर में पहुंच गया. वहां एक श्रेष्ठ ब्राह्मण श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ कर रहे थे. पाठ अभी आरंभ ही हुआ था.
दुर्गापाठ का यह वह अंश प्रथम चरित या आदि चरित कहा जाता है, व्याधकर्मा उसे ध्यान से सुनने लगा. व्याधकर्मा को इसमें आनंद आने लगा. उसने पहले कभी दुर्गासप्तशती का पाठ देखा सुना नहीं था.
[irp]
प्रथम अध्याय के समाप्त होते होते व्याधकर्मा की बुद्धि निर्मल और धर्ममय होने लगी. परिणाम यह हुआ कि व्याधकर्मा तत्काल श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ करने वाले ब्राह्मण का शिष्य बन गया.
शिष्य बनने के उपरांत व्याधकर्मा ने अपना सारा धन अपने गुरु को दान दे दिया. गुरु ने व्याधकर्मा को आज्ञा दी कि वह देवी के मन्त्र का जप करे.
बीजमंत्र के प्रभाव से व्याधकर्मा के सारे पाप कीडे बन-बन कर उसके शरीर से निकलते गए. लगातार तीन वर्षों तक इस बीज मंत्र का जप करते हुए व्याधकर्मा पापमुक्त और श्रेष्ठ ब्राह्मण हो गया.
मन्त्र-जप और आदि चरित्र का पाठ करते हुए उसे बारह वर्ष बीत गये. इसके बाद व्याधकर्मा काशी पहुंचा. काशी की पवित्र भूमि पर पहुंच कर व्याधकर्मा ने मुनि एवं देवों से पूजित महादेवी अन्नपूर्णा विधिवत पूजन किया.
उसकी एक ही रट थी कि मां मुझे विद्या प्रदान करें. व्याघकर्मा ने मां अन्न्पूर्णा से आग्रह किया- हे काशीपुरी की अधीश्वरी अन्नपूर्णेश्वरी! आप समस्त पापों को नष्ट कर पवित्र कर देने वाली हैं. महान-महान भयों को दूर करनेवाली, विश्वका भरण-पोषण करनेवाली तथा सबके ऊपर अनुग्रह करनेवाली हे माता! आप मुझे विद्या प्रदान करें.
अन्न्पूर्णा मां की स्तुति का अनवरत जप करता वह ध्यानमग्न आंखे बंदकर वहीँ सो गया. स्वप्न में उसके सम्मुख अन्नपूर्णा शिवा उपस्थित हुई. माता ने उसे ऋग्वेद का ज्ञान प्रदान किया और अंतर्धान हो गयी.
बाद में श्रेष्ठ विद्या प्राप्त व्याधकर्मा राजा विक्रमादित्य के यज्ञ का आचार्य हुआ. यज्ञ के बाद योग धारण कर हिमालय चला गया.
[irp]
सूतजी बोले- ऋषिगणों! संभवत: आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा. देवी के पुण्यमय आदि-चरित स्तोत्र के पाठ करने से वेदों के पाठ करने का फल प्राप्त होता है और सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.
इससे ही व्याधकर्मा जैसे पापी ने भी परमोत्तम सिद्धि को प्राप्त कर लिया.
(भविष्य पुराण के प्रतिसर्गपर्व, द्वितीय खंड के सत्रहवें अध्याय से)
धार्मिक-आध्यात्मिक कथाएं यदि आपको पसंद हैं, आप उन्हें पढ़ना और शेयर करना चाहते हैं तो कृपया प्रभु शरणं ऐप डाउनलोड कर लें.
क्यों डाउनलोड करें प्रभु शरणं ऐप?
प्रभु शरणं एक फ्री ऐप्प है जिसका उद्देश्य है धर्म प्रचार. देश-विदेश में बसे सनातनियों को हिंदू धर्म से जोड़े रखने और उन्हें धर्म से जुड़ी आवश्यक जानकारियां प्रदान करने लिए इसे बनाया गया है. इसलिए इसे इंटरनेट जगत का मंदिर कहा जाता है. इसमें आपको वेद-पुराण की कथाएं, हिंदू पंचांग, सभी प्रमुख व्रत-त्योहार की कथाएं, देवी-देवताओं के सभी प्रमुख मंत्र, पूजा की विधि, रामायण, रामशलाका प्रश्नावली और अन्य धार्मिक जानकारियां सहज ही मिल जाती है. मात्र 6 MB का छोटा सा ऐप्प है जो आपको धर्म से जोड़े रखेगा. हर हिंदू के मोबाइल में होना चाहिए यह इंटरनेट जगत का मंदिर . प्लेस्टोर में सर्च करें Prabhu Sharnam अथवा इस लिंक से डाउनलोड करें. आपके जीवन का अंग बन जाएगा. आप एक बार देखें यह आपके जीवन का अंग बन जाएगा. पसंद न आए तो डिलीट कर दीजिएगा.
धर्मप्रचार के लिए बना सर्वश्रेष्ठ हिंदू ऐप्प प्रभु शरणम् फ्री है.
Android मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करने के लिए यहां पर क्लिक करें
हम ऐसी कहानियां देते रहते हैं. Facebook Page Like करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page
धार्मिक चर्चा करने व भाग लेने के लिए कृपया प्रभु शरणम् Facebook Group Join करिए: Please Join Prabhu Sharnam Facebook Group