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कई साल बाद वह ब्राह्मण तीर्थयात्रा से लौटा और आपके पास आया. उसने आपसे अपने हंसों के बारे में पूछा. हंस तो आपके लोभ की बलि चढ़ चुके थे. प्रजापालक राजा यह कैसे कहता कि उसने अपने प्रजा की संपत्ति को चुपके से लूट ली.
इसलिए आपने ब्राह्मण से कह दिया कि हंस बीमार होकर मर गए. ब्राह्मण दंपति आपपर पूरा भरोसा करता था. उसने आपकी बात मान ली और विलाप करते घर चले गए.
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महाराज धृतराष्ट्र आपने हंस के बच्चों को खाकर और फिर झूठ बोलकर एक साथ कई अपराध किए, वह सुनिए.
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