धनतेरस पूजा हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है. धनतेरस पूजा से अकाल मृत्यु का भय टलता है और प्रचुर धन संपदा की प्राप्ति होती है. आखिर क्यों इतनी महत्वपूर्ण कही गई है धनतेरस पूजा.  धनतेरस पूजा से अकाल मृत्यु का भय क्यों और कैसे टलता है. आज आपको धनतेरस पूजा से जुड़ी सारी जानने योग्य बातें बताएंगे. धनतेरस पूजा कैसे करें, धनतेरस पूजा से जुड़ी कथा, धनतेरस पूजा के मंत्र, धनतेरस पूजा के समय दीपदान का महत्व आदि सबकुछ.

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धनतेरस एक ऐसा पर्व है जिसकी प्रतीक्षा हमें सालभर रहती है. शायद ही कोई ऐसा सनातनी हो जो इस दिन दक्षिण दिशा की ओर दीपक न जलाता हो अथवा बर्तन न खरीदता हो. धनतेरस के दिन दक्षिण में दीपक जलाने और बर्तन खरीदने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण है. संभव है आप इनसे परिचित भी होंगे. यदि नहीं हैं तो आज विस्तार से आपको बताते हैं.

धनतेरस की पूजा अकाल मृत्यु के भय का अंत करने वाली, आरोग्य देने वाली और धन-धान्य से भरने वाली है. यह ऐक ऐसी तिथि है जिस दिन तीन-तीन देवताओं की पूजा होती है- मृत्यु के देवता यमराज, आरोग्य के देवता धन्वंतरि और स्वर्ण के स्वामी कुबेर की. यानी धनतेरस की पूजा करके आप अकाल मृत्यु को टाल सकते हैं, बीमारियों से बच सकते हैं और फिर धन-धान्य से परिपूर्ण हो सकते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि ये पूजा बहुत ही सरल है.

सबसे पहले हम आपको वह पौराणिक कथा बताएंगे जो यह बताती है कि धनतेरस पूजा को दक्षिणमुखी दीप जलाने से क्यों अकालमृत्यु का भय टल जाता है. फिर यमराज को दीपदान करने की सरलतम विधि बताएंगे. बस एक मिनट की पूजा है.

उसके बाद हम आपको भगवान धन्वंतरि के पूजन की वैदिक विधि बताएंगे और कुबेर महाराज के पूजन की भी विधि. सबसे पहले वह पौराणिक कथा जानते हैं-

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